अररिया (बिहार): अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड स्थित मिर्ज़ापुर गांव में भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों का जीवन तबाह कर दिया है। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि हताश किसानों ने गाँव और खेतों को बचाने के लिए सरकारी नहर काट दी, जिससे पानी तो निकला, लेकिन एक अन्य किसान की लाखों की पूंजी पानी के तेज बहाव में बह गई।
बाढ़ ने घरों और फसलों को डुबोया
पुलकाहा थाना क्षेत्र के मिर्ज़ापुर में लगातार बारिश और बाढ़ के पानी ने भारी तबाही मचाई है।
- फसलों की बर्बादी: अधिकांश किसानों की तैयार फसलें पानी में डूबकर पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं।
- दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त: पानी कई किसानों के घरों में घुस गया है, जिससे उनके चूल्हे तक बुझ गए हैं। खाना बनाना असंभव हो गया है।
- आवागमन ठप: मुख्य सड़कों पर पानी भर जाने से ग्रामीणों का आना-जाना बंद हो गया है।
किसानों का कहना है कि उन्हें इतना नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल है।
हताशा में काटी नहर, दूसरे किसान पर गिरी गाज
नुकसान से तंग आकर, मिर्ज़ापुर के किसानों ने सामूहिक रूप से 7 अक्टूबर की रात को गांव से पानी निकालने के लिए एक बड़ा कदम उठाया — उन्होंने सरकारी नहर को काट दिया।
पानी के तेज बहाव ने खेतों और घरों से निकासी तो शुरू कर दी, लेकिन इसका खामियाजा नहर के किनारे रखे पटुआ (जूट) गला रहे एक किसान को भुगतना पड़ा।
- लाखों का नुकसान: नहर कटते ही, पानी में गलाए हुए लगभग 40 सोंढे (गट्ठर) पटुआ - जो उस किसान की साल भर की मेहनत थी - तेज़ बहाव में बह गए।
- किसान का दर्द: पीड़ित किसान ने रोते हुए कहा,
“मेरी साल भर की कमाई चली गई। लाखों का नुकसान हो गया। अब क्या होगा?”
❓ मुआवज़े का सवाल: कौन देगा जवाब?
इस दोहरी मार (प्राकृतिक आपदा और नहर कटान से नुकसान) के बाद, सभी किसान मुआवज़े की मांग कर रहे हैं।
- बाढ़ प्रभावित किसान: इन्हें बर्बाद हुई फसलों के लिए सरकारी अनुदान का इंतज़ार है।
- पटुआ पीड़ित किसान: इनकी मांग है कि नहर कटान के कारण हुए इस बड़े नुकसान की भरपाई कौन करेगा? यह मामला अब प्रशासन के संज्ञान में है।
स्थानीय प्रशासन से मांग की जा रही है कि वे जल्द से जल्द गांव का दौरा कर नुकसान का आकलन करें और प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता दें। यह घटना किसानों की बेबसी को उजागर करती है, जहाँ एक की जान बचाने की कोशिश दूसरे के लिए बड़ी आपदा बन गई।

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