न्याय की हत्या!" - शिवाजीनगर में कोचिंग जा रही 18 वर्षीय छात्रा की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या, पुलिस की पूर्व लापरवाही ने बिहार के 'कानून के राज' पर खड़े किए गंभीर सवाल


समस्तीपुर/दरभंगा (बिहार): बिहार में एक बार फिर कानून-व्यवस्था तार-तार होती दिखाई दी है। समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर थाना क्षेत्र के तहत बहेरी-बघौनी इलाके में कोचिंग जा रही एक 18 वर्षीय छात्रा गुड़िया कुमारी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। अपराधी ने लड़की के सिर में गोली मारी, जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। इस वीभत्स घटना ने न केवल राज्य को दहला दिया है, बल्कि स्थानीय पुलिस प्रशासन की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता को भी उजागर कर दिया है।

लाश बनी 'कानून व्यवस्था का खून'

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों से घिरे घटनास्थल से रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार ने इस मंजर को 'बिहार के कानून व्यवस्था का खून' बताया। मौके पर मृतका का खून से लथपथ शव पड़ा था, जिसके बगल में उसकी किताबें और स्कूल बैग बिखरे पड़े थे। पत्रकार ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "यह बिहार का मरा हुआ कानून व्यवस्था और निकम्मे पुलिस प्रशासन का कानून व्यवस्था है।"
​मृतका गुड़िया कुमारी पढ़ने के उद्देश्य से घर से निकली थी, लेकिन अपराधियों ने उसके भविष्य को हमेशा के लिए छीन लिया। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जिस राज्य में बेटियाँ खुलेआम मारे जाने के डर से सुरक्षित महसूस न करें, वहाँ 'सुशासन' का दावा कितना खोखला है।

लापरवाही बनी हत्या का कारण: पुलिस पर गंभीर आरोप

सबसे चौंकाने वाला और गंभीर आरोप पुलिस प्रशासन पर लगा है। परिवार के सदस्यों ने खुलासा किया है कि हमलावर ने हत्या से पहले उनके घर आकर खुलेआम धमकी दी थी। जान के खतरे को देखते हुए, परिवार के लोग शिवाजीनगर थाने गए और लिखित शिकायत (आवेदन) भी दी।
​पीड़ित परिवार का स्पष्ट आरोप है:
​"परिवार के लोग शिवाजीनगर थाना पर गए थे, जाकर के आवेदन दिए थे, लेकिन मरा हुआ थानाध्यक्ष कार्रवाई नहीं किया, जिसका नतीजा हुआ कि आज लड़की [मारी गई]।"
​पुलिस की इस लापरवाही और निष्क्रियता के कारण अपराधी का हौसला बढ़ा, और उसने बेख़ौफ़ होकर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया। अगर समय रहते पुलिस ने धमकी की शिकायत पर कार्रवाई की होती, तो आज 18 साल की एक मासूम छात्रा जीवित होती।

न्याय की मांग और जनता का आक्रोश

घटना के बाद स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। जनता का कहना है कि जहाँ पुलिस अपराधियों के खिलाफ सक्रियता नहीं दिखाती, बल्कि पूर्व-सूचित खतरे को भी नज़रंदाज़ कर देती है, वहाँ आम नागरिक कैसे सुरक्षित रह सकते हैं?
​राज्य सरकार और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए यह घटना एक गंभीर चेतावनी है। इस मामले में न केवल हत्यारे की त्वरित गिरफ्तारी सुनिश्चित होनी चाहिए, बल्कि उन तमाम पुलिस अधिकारियों पर भी तत्काल और कठोर विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने नागरिक की सुरक्षा की मांग को ठुकराकर कर्तव्य की उपेक्षा की, जिसका सीधा परिणाम एक लड़की की मौत हुई।
​यह घटना बिहार के 'सुशासन' मॉडल और नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए पुलिस के संकल्प पर एक काला धब्बा है।

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